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अपने लोगों को टिकिट देकर डॉ. रमन भी डूबेंगे और पूरे कुनबे को भी डूबाएंगे: भूपेश

रायपुर राजनांदगांव में कांग्रेस प्रत्याशियों की नामांकन रैली में शामिल होने से पहले पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश...

अमित शाह छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्र में जनसभाओं को संबोधित करेंगे

रायपुर  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बृहस्पतिवार को छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनाव प्रचार को गति देने...

प्रदेश कांग्रेस ने बागियों पर लगाया बड़ा दांव, कभी पार्टी से बगावत कर लड़ा चुनाव

भोपाल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। उज्जैन जिले की 7 विधानसभा सीटों पर...

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गृह मंत्री अमित शाह की आज जगदलपुर और कोंडागांव में आमसभा

रायपुर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज छत्तीसगढ़ के दौरे पर रहेंगे, इस दौरान शाह जगदलपुर और कोंडागांव में आयोजित...

कांग्रेस की घोषित दूसरी सूची में 53 प्रत्याशी उत्तर में कशमकश

रायपुर बुधवार की शाम को कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए अपने 53 उम्मीदवारों की दूसरी...

किसानों को चुनाव से पहले मोदी सरकार की सौगात, MSP में सबसे बड़ी बढ़ोतरी

नई दिल्ली केंद्र सरकार ने विपणन सत्र 2024-25 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 150 रुपये बढ़ाकर 2,275...

सफेद शेर स्व. श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी भाजपा में शामिल

 भोपाल   विंध्य के सफेद शेर के नाम से मशहूर एवं मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष रहे श्रीनिवास तिवारी...

सफेद शेर स्व. श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी भाजपा में शामिल

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।