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जाने धनतेरस पर ‘यम का दीपक’ जलाने का ये है सही समय, घर में इस स्थान पर रखें

हिंदू धर्म में दीपावली का त्योहार धनतेरस से शुरू हो जाता है। धनतेरस पर शाम के समय देवी लक्ष्मी के...

बिहार विधानसभा से आरक्षण का दायरा बढ़ाने वाला बिल पास, अब होगा 75 फीसदी

 पटना बिहार विधानसभा में आरक्षण का दायरा 60 से 75 फीसदी बढ़ाने वाला बिल गुरुवार को पास कर दिया गया।...

MP-MLA पर चल रहे मुकदमों लाएं तेजी, स्पेशल बेंच बना लें हाई कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के निपटारे में तेजी लाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार...

एशिया की टॉप 100 यूनिवर्सिटीज में 6 भारतीय, टॉप 50 में IIT बॉम्बे-IIT दिल्ली

नईदिल्ली दुनिया में शिक्षा क्षेत्र (Education Sector) के लिए अहमियत रखने वाली QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स- एशिया में भारत ने...

मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार आई तो लाड़ली बहना के पैसे बंद कर देगी – स्मृति ईरानी

भोपाल. मध्यप्रदेश को कांग्रेस की सरकार ने बीमारू प्रदेश बना दिया है था। भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो...

कांग्रेस आई, तबाही लाई, चुनावी प्रचार के दौरान सतना की सभा में गरजे पीएम मोदी

भोपाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में भाजपा उम्मीदवारों के प्रचार के दौरान कांग्रेस और मध्य प्रदेश के दो...

प्रियंका ने गिनाई कांग्रेस की गारंटी राहुल ने किए सरकार पर प्रहार…

  भोपाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी की चुनाव के पीक दिनों में मतदान के आठ दिन...

अयोध्या में इस बार 24 लाख दीयों से जगमग होगी राम नगरी, 51 घाटों पर दीपोत्सव से बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड

अयोध्या अयोध्या में दीपोत्सव पर इतिहास रचने की तैयारी है। दीपोत्सव को देखते हुए रामजन्मभूमि परिसर को सजाने का कार्य...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।