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प्रियंका गांधी को राम भगवान के वनवास का समय नहीं पता – हिमंता बिस्वा सरमा

राजगढ़. मध्यप्रदेश की पूरी तस्वीर भाजपा के शासनकाल में बदल गई है। अब प्रदेश को बीमारू राज्य नहीं, बल्कि विकसित...

हमास जंग का बदल रहा रंग, इजरायल ने दी 4 घंटे की मोहलत,15000 फिलिस्तीनियों को रास्ता

तेल अवीव इजरायल-हमास जंग का आज 34वां दिन है। इजरायली सुरक्षा बलों ने दावा किया है कि उसने अब तक...

सनातनी सरोकार धनतेरस पर घोषणा पत्र इधर मोदी के प्रचंड प्रहार

भोपाल विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा अपना घोषणा पत्र शुक्रवार को जारी करने जा रही है। शुक्रवार को धनतेरस का...

अग्निवीरों की भर्ती के लिए सेना ने बदली नीति, रेगुलर सैनिक से कड़े थे पैमाने

नईदिल्ली  अग्निपथ स्कीम के तहत भारतीय सेना ने जब अग्निवीरों की भर्ती की, तो उनके आकलन का क्राइटेरिया रेगुलर सैनिक...

दिल्ली मेट्रो का दिवाली के दिन की टाइमिंग में हुआ बदलाव, सफर से पहले जरूर चेक करें नया शेड्यूल

नई दिल्ली  डीएमआरसी ने दीपावल की दिन मेट्रो के संचालन के समय में बदलाव किया है। दीपावली यानी 12 नवंबर...

पीएम मोदी बोले- देश में खुशी की लहर है, मैं जहां भी जाता हूं राम मंदिर की चर्चा होती है

सतना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सतना की चुनावी सभा में कहा, 'कांग्रेस का झूठ का गुब्बारा फूट गया है। हारते...

भारत में पेटेंट फाइलिंग में हुई तेजी से वृद्धि, PM मोदी ने ट्वीट कर जताई खुशी

नई दिल्ली भारत में पेटेंट आवेदनों में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने...

बच्‍चों का सबसे बड़ा ‘कब्रिस्‍तान’ बना गाजा ! हर 10 मिनट में जा रही एक बच्चे की जान

गाजा पट्टी फिलीस्तीन की गाजा पट्टी में हमास और इजरायल के बीच चल रहे जंग का सबसे बुरा असर बच्चों...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।