राष्ट्रीय

शाह के बाद अब नड्डा जाएंगे दुर्गा पूजा के लिए बंगाल

कोलकाता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाद अब भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा शनिवार को महासप्तमी के अवसर पर कोलकाता...

हिल स्टेशन पोनमुडी एशियाई माउंटेन बाइक कार्यक्रमों की मेजबानी के लिए तैयार

तिरुवनंतपुरम केरल की राजधानी शहर से 80 किलोमीटर दूर सुंदर हिल स्टेशन, पोनमुडी 26 से 29 अक्टूबर तक आयोजित होने...

प्रधानमंत्री गुरुवार को महाराष्ट्र में 511 ग्रामीण कौशल्य विकास केन्द्रों का शुभारंभ करेंगे

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज 19 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से महाराष्ट्र में 511 प्रमोद महाजन ग्रामीण...

न्यूजक्लिक: पुरकायस्थ की याचिका पर गुरुवार सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली उच्चतम न्यायालय ने  कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार न्यूज पोर्टल 'न्यूजक्लिक' के संस्थापक...

किसानों को चुनाव से पहले मोदी सरकार की सौगात, MSP में सबसे बड़ी बढ़ोतरी

नई दिल्ली केंद्र सरकार ने विपणन सत्र 2024-25 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 150 रुपये बढ़ाकर 2,275...

निशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं कार्ड के पंजीकरण की आखिरी तारीख बढ़ी, जानें किस दिन तक कर सकते हैं आवेदन?

भिवानी खंड एवं जिला स्तर पर आयुष्मान चिरायु योजना के माध्यम से एक लाख 80 हजार रूपए की वार्षिक आय...

असम में बाल विवाह के खिलाफ जारी अभियान, 20 जिलों में बाल विवाह मुक्त बनेगा भारत

गुवाहटी असम को बाल विवाह से मुक्त करने के लिए राज्य के 20 जिलों में एक अभियान चलाया गया। अभियान...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।