राष्ट्रीय

सरोगेसी के लिए नहीं यूज कर सकते डोनर्स का स्पर्म और एग्स, केंद्र का बॉम्बे हाई कोर्ट में क्या हलफनामा

मुंबई  क्या डोनर्स के शुक्राणु और एग्स का सरोगेसी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता? इसका जवाब है नहीं। यह...

माथेरान-नेरल मिनी ट्रेन सेवा चार नवंबर से बहाल होगी : मध्य रेलवे

मुंबई  मुंबई के निकट प्रसिद्ध माथेरान-नेरल मिनी ट्रेन सेवा दिवाली की छुट्टियों से पहले चार नवंबर से बहाल हो जाएगी।...

बच्चों पर बढ़ने लगा भयानक बीमारी का खतरा, स्कूलों को जारी हुए ऑडर

लुधियाना डेंगू के निरंतर चल रहे प्रकोप के बीच यह भी सामने आया है कि मरीजों में काफी संख्या बच्चों...

भारत दुनियाभर में नए स्थानों पर रक्षा शाखाएं स्थापित कर रहा है : सेना प्रमुख जनरल पाण्डे

भारत दुनियाभर में नए स्थानों पर रक्षा शाखाएं स्थापित कर रहा है : सेना प्रमुख जनरल पाण्डे भारत का दृष्टिकोण...

मणिपुर में गरमाया एसडीपीओ की हत्या का मामला, आदिवासी विधायकों ने केंद्र से की दखल देने की मांग

इंफाल मणिपुर के मोरेह शहर में इस हफ्ते की शुरुआत में एक एसडीपीओ (उप-विभागीय पुलिस अधिकारी) की हत्या के बाद...

वॉट्सऐप ने अचानक बंद किए 71 लाख से ज्यादा के अकाउंट, कहीं आप तो नहीं कर रहे ये गलतियां

नई दिल्ली पॉपुलर चैटिंग ऐप वॉट्सऐप का इस्तेमाल भारत में 500 मिलियन से ज्यादा यूजर्स करते हैं। अगर आप भी...

केंद्र ने चार उच्च न्यायालयों में 13 न्यायाधीशों की नियुक्ति को किया अधिसूचित

नई दिल्ली केंद्र ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाला सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिफारिशों के अनुरूप...

ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज की, हाई कोर्ट पर छोड़ा फैसला

नईदिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति (एआईएमसी) की वह याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी, जिसमें ज्ञानवापी मामले...

सिर्फ पुरुष वर्चस्व से नहीं होतीं दहेज हत्याएं, महिलाएं भी करती हैं अत्याचार: हाई कोर्ट

नई दिल्ली दिल्ली हाई कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना से जुड़े एक मामले को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।