राष्ट्रीय

दिल्ली में प्रदूषण के चलते ‘मिनी लॉकडाउन’ जैसे हालात

नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली-एनसीआर में नवंबर की शुरुआत से ही वायु प्रदूषण के कारण जिस तरह के हालात बने हैं,...

अधिकारियों की तरह महिला सैनिकों को भी मातृत्व अवकाश

नई दिल्ली. सुरक्षा बलों में अब महिला अधिकारियों की तरह ही महिला सैनिकों को भी अब मातृत्व, बच्चों की देखभाल...

राम मंदिर उद्घाटन में नहीं जा सकते? निराश न हों, ‘पूरे देश को अयोध्या’ बनाएगा RSS

नई दिल्ली राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अगले साल 22 जनवरी को होनी है। इस दिन पूरे देश में धूमधाम...

तेलंगाना की मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी के एस्कॉर्ट प्रभारी ने की आत्महत्या

हैदराबाद. तेलंगाना सरकार में शिक्षा मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी के काफिले के प्रभारी (एस्कॉर्ट इंचार्ज) द्वारा आत्महत्या करने का मामला...

यूपी से बंगाल तक दरार ही दरार, 2024 में कैसे लगेगी INDIA की नैया पार?

नई दिल्ली. 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ तैयार विपक्षी एकता में पश्चिम बंगाल...

मुर्दाघर के बाहर चार माह से मालिक का इंतजार, अस्पताल में कुत्ते के वफादारी की कहानी

कन्नूर. फिल्मों में अक्सर आपने देखा होगा कि कुत्ता कैसे अपने मालिक की मौत के बाद भी उसके इंतजार में...

विधायिका फैसले में खामी दूर करने को कानून बना सकती है पर इसे खारिज नहीं कर सकती: चंद्रचूड़

नई दिल्ली  भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने  कहा कि विधायिका अदालत के फैसले में खामी को...

केरल पुलिस ने सांप्रदायिकता फैलाने वाले सोशल मीडिया खातों पर दर्ज किए 54 मामले

एर्नाकुलम. केरल के एर्नाकुलम में बीते दिनों हुए एक प्रार्थना सभा में धमाके हुए थे। जिसके बाद से पुलिस मामले...

छिंदवाड़ा में मरीजों के लिए सजती है “दरवाजे पर ओपीडी”, ‘कमलनाथ सरकार’ की बोलती तूती

छिंदवाड़ा. छिंदवाड़ा शहर में आदिवासी छात्रावास के बाहर बड़ी भीड़ लगी थी। पूछने पर पता चला कि यहां पर थोड़ी...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।