राष्ट्रीय

नवरात्रि उत्सव के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में 21% की वृद्धि

अहमदाबाद अहमदाबाद में नवरात्रि उत्सव चल रहा है। दूसरी तरफ शहर में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में 21 प्रतिशत की...

कोर्ट से बोले उदयनिधि स्टालिन- नास्तिकता का प्रचार करने का अधिकार देता है संविधान

नई दिल्ली द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (DMK) नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने मद्रास उच्च न्यायालय से कहा है...

अकासा एयर के पायलट पर लड़की के उत्पीड़न का आरोप, सीट बदलकर बिठाया पास, शराब भी की ऑफर

नई दिल्ली एक 20 वर्षीय छात्रा ने अकासा एयर के पायलट पर उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है। छात्रा ने...

तलाक वाली लड़ाई में अदालत तक पहुंचे, राजा भैया के पिता बहू भानवी के साथ

नई दिल्ली राजा भैया और उनकी पत्नी भानवी सिंह मामले में आज राजा भैया के पिता राजा उदय प्रताप सिंह...

गार्डों ने सबको कर डाला ‘लॉक’ , NOIDA की बड़ी सोसाइटी में बरपा हंगामा

नोएडा ग्रेटर नोएडा वेस्ट की महागुन मायवुड्स सोसाइटी में मंगलवार सुबह जमकर हंगामा हुआ। वेतन नहीं मिलने से नाराज गार्डों...

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के 11,000 पुराने वाहनों का नहीं किए जाएगा इस्तेमाल

  नई दिल्ली केंद्र सरकार की 15 वर्ष से अधिक पुराने सभी वाहनों के निस्तारण की नीति के तहत सीमा...

प्रधानमंत्री आज करेंगे ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट के तीसरे संस्करण का उदघाटन

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज  सुबह लगभग 10:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस)...

ऋण धोखाधड़ी मामला: न्यायालय ने चंदा कोचर, उनके पति से सीबीआई की याचिका पर जवाब मांगा

नई दिल्ली उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की उस याचिका पर आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी...

‘चुनावी बांड’ विवाद का फैसला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ करेगी

नई दिल्ली उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दलों को चंदा से संबंधित 'चुनावी बांड' की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।