राष्ट्रीय

छिंदवाड़ा में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कन्हई राम रघुवंशी ने खुद को गोली मारकर सुसाइड कर लिया

छिंदवाड़ा  दो बार छिंदवाड़ा के नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता कन्हाईराम रघुवंशी ने गणेश कॉलोनी स्थित...

राज्य सरकार विकास, जन कल्याण और सुराज के लिए प्रतिबद्ध-विधायक अनूपपुर बिसाहूलाल सिंह

  अभियान के अंतर्गत चिन्हित योजनाओं का सभी पात्र हितग्राहियों को दिलाया जाएगा लाभ-कलेक्टर ग्राम फुनगा में मुख्यमंत्री जन कल्याण...

पहली वर्षगांठ पर यूथ के लिए खोला पिटारा, 76617 को सरकारी नौकरी, पढ़ें भर्ती से जुड़ी सारी बातें

जयपुर  राजस्थान की भजनलाल सरकार के एक साल का कार्यकाल पूरा होने वाला है। पिछले साल 15 दिसंबर को उन्होंने...

थाना पलेरा पुलिस द्वारा 07 वर्ष पूर्व से अपहृत बालक को किया दस्तयाव

 पलेरा थाना पलेरा मे दिनांक 19.01.18 को फरियादी ब्रजलाल आदिवासी निवासी चौहान टपरियन थाना पलेरा के द्वारा इसके पुत्र सुनील...

प्रियंका गांधी ने संविधान पर बहस के दौरान लोकसभा में कांग्रेस की ओर से मोर्चा खोला, जाति पर भी की बात

नई दिल्ली प्रियंका गांधी ने संविधान पर बहस के दौरान लोकसभा में कांग्रेस की ओर से मोर्चा खोला। उन्होंने भाजपा...

आप पार्टी के प्रत्याशी बनाए गए अवध ओझा ने अब अरविंद केजरीवाल से जुड़े बंगला विवाद पर जो कहा वह हुआ वायरल

नई दिल्ली प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा राजनीति में एंट्री के बाद से...

संध्या थिएटर भगदड़ मामले में एक्टर अल्लू अर्जुन को पुलिस पूछताछ के लिए लेकर गई

हैदराबाद एक्टर अल्लू अर्जुन को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है. खबर है कि उनको गिरफ्तार कर लिया गया...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।