छत्तीसगढ़

भारत के खिलाफ अफ्रीकी टीम की शर्मनाक हार से बने ये 9 रिकॉर्ड

कोलकत्ता वर्ल्ड कप 2023 के 37वें मैच में भारत से हारकर दक्षिण अफ्रीका ने कई शर्मनाक रिकॉर्ड अपने नाम कर...

जिम्बाब्वे ने सिकंदर रज़ा को नया टी20 कप्तान नियुक्त किया

हरारे. ऑफ-स्पिन ऑलराउंडर सिकंदर रजा को वेस्टइंडीज और यूएसए में होने वाले 2024 पुरुष टी20 विश्व कप में स्थान हासिल...

हार के बीच जीत का रास्ता खोज बनाई दुनिया में पहचान: पारुल

रायपुर एन.एच.गोयल वर्ल्ड स्कूल के प्रांगण में सीबीएसई एथलेटिक्स खेलों के महाकुम्भ का शुभारम्भ प्रात: 8 बजे  से हुआ जिसमें...

रायपुर जिला प्रशासन के स्वीप महिला कार रैली में उत्कृष्ट मतदान संदेश के साथ सजी कारें हुई पुरस्कृत

रायपुर मतदाता जागरूकता कार्यक्रम स्वीप के अंतर्गत रायपुर में आयोजित महिला कार रैली में छत्तीसगढ़ की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना...

भ्रष्टाचार और वादाखिलाफी का मॉडल है कमल नाथ: CM शिवराज सिंह चौहान

भोपाल मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को बांधवगढ़, ब्यौहारी, धौहनी, चुरहट, सिंहावल, चितरंगी और सिंगरौली में भाजपा प्रत्याशियों...

प्रदेश में रात में सिहरन बरकरार, आठ शहरों में पारा 15 डिग्री से नीचे

भोपाल. वर्तमान में उत्तर भारत में कोई प्रभावी मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है। मध्य प्रदेश में एक प्रति चक्रवात बना...

दिसंबर माह के तीसरे सप्ताह से चौथी से आठवीं कक्षा की होगी अर्द्धवार्षिक परीक्षा

इंदौर. राज्य शिक्षा केंद्र ने नवंबर में होने वाली अर्द्धवार्षिक परीक्षा को आगे बढ़ा दी। आदेश में चौथी से आठवीं...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।