छत्तीसगढ़

लक्ष्मी पूजा के हैं 2 शुभ मुहूर्त, जानें दिन और रात के शुभ मुहूर्त

इस साल दीपावली का पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा. वहीं, सनातन धर्म लोगों के लिए दीपावली का पर्व बेहद...

कांग्रेस के 196 तो BJP के 200 उम्मीदवार करोड़पति, महिलाएं महज 10%, जानें किसने कितने दागी उतारे

भोपाल मध्य प्रदेश में इन दिनों विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार चरम पर है। राज्य में 17 नवंबर को मतदान...

11 नवंबर शनिवार को इन राशियों में दिखेगा लाभ

मेष राशि- भवन सुख में वृद्धि होगी। घर-परिवार में धार्मिक कार्य हो सकते हैं। वस्त्रों पर खर्च बढ़ेंगे, परन्तु स्वास्थ्य का...

आप प्रत्याशी जसबीर सिंग ने दी विकास कार्यों की गारंटी

बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी जसबीर सिंग, बिल्हा के मतदाताओं की समस्याओं के प्रति न केवल...

कांग्रेस में कुछ नेताओं को तो राम और हिंदू शब्द से नफरत: प्रमोद कृष्णम

नई दिल्ली कांग्रेस के सीनियर नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर निशाना साधते हुए बड़े...

दिल्ली में नहीं लागू होगा ऑड-ईवन नियम, हवा साफ होने के बाद केजरीवाल सरकार का फैसला

नई दिल्ली राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को हवा की सेहत काफी हद तक सुधर गई। दरअसल, दिल्ली- एनसीआर में बारिश...

मल्लिकार्जुन खरगे का भाजपा पर हमला, कहा- पब्लिक सेक्टर को हड़प रही मोदी सरकार

कोरबा. विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने में एक सप्ताह का समय बाकी रह गया है। इसके बीच प्रमुख राजनीतिक...

जिलेभर में 32 नाकों पर दिन-रात चेकिंग, हर आने-जाने वाले व्यक्ति की हो रही जांच

उज्जैन  विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही पुलिस ने पूरे जिले की सीमा सील कर दी है। जिलेभर में 32...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।