छत्तीसगढ़

‘ मैं शिवराज नहीं तो बताऊं कितनी सीट जीतेंगे, जनता तय करेगी…’ वोट डालने के बाद कमलनाथ का सीएम पर तंज

छिंदवाड़ा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने गृह क्षेत्र शिकारपुर में अपने सांसद बेटे नकुलनाथ और बहु प्रिया नाथ के साथ...

कनाडा में खालिस्तान समर्थकों के निशाने पर भारतीय दूतावास, नियमित कामकाज बाधित करने की धमकी

कनाडा कनाडा के वैंकूवर में भारत के महावाणिज्य दूतावास द्वारा आयोजित एक शिविर दौरान  खालिस्तान समर्थक तत्वों ने विरोध प्रदर्शन...

सुमावली में भाजपा, कांग्रेस व बसपा के प्रत्याशी किए गए नजरबंद

 मुरैना/ भिंड शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए सुमावली विधानसभा के बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के प्रत्याशियों को पुलिस ने नजरबंद...

छत्तीसगढ़ में वोटिंग के बीच CRPF की टीम पर नक्सली हमला, IED ब्लास्ट कर किया गया अटैक

धमतरी छत्तीसगढ़ में आज दूसरे और अंतिम चरण के लिए 70 सीटों पर मतदान हो रहा है. इस बीच धमतरी...

पंडित धीरेंद्र शास्त्री की मतदाताओं से अपील, बोले- ‘राष्ट्रहित में काम छोड़कर वोट देने जरूर जाएं’

भिंड मध्य प्रदेश में बुधवार (15 नवंबर) को देर शाम चुनाव प्रचार अभियान पर विराम लग गया. प्रदेश की सभी...

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कर दिया साफ, बोले- मैं मुख्यमंत्री पद की रेस में ही नहीं

ग्वालियर मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान चल रहा है. इस दौरान कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी ग्वालियर...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।