छत्तीसगढ़

विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को राजनीतिक रूप से मिला बड़ा लाभ

भोपाल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को राजनीतिक रूप से बड़ा लाभ मिला है। दिल्ली में ओबीसी महासभा के पदाधिकारियों...

जयराम रमेश बोले- BJP के सुपर स्टार प्रचारक ED-CBI, कन्हैया हत्याकांड के आरोपी का फोटो दिखा ये कहा

उदयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव के बीच उदयपुर पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी और...

युवक ने इंस्टा में युवती को लिखा-आई लव यू, दोस्त ने पिता को बताया और फिर तोड़ दिया पैर

कोरबा. दो नाबालिगों की गहरी दोस्ती उस समय दुश्मनी में बदल गई, जब एक नाबालिग ने अपने दोस्त द्वारा किशोरी...

पाकिस्तान के टॉस हारने से न्यूजीलैंड को मिला सेमीफाइनल का टिकट, बाबर आजम की किस्मत ने दिया गच्चा

नई दिल्ली पाकिस्तान का वर्ल्ड कप 2023 से बोरिया बिस्तर बंध गया है। पाकिस्तान ने शनिवार को जैसे ही कोलकाता...

कांग्रेस, भाजपा और बागी, दोनों पार्टियों के कई क्षत्रप चुनाव मैदान में

जयपुर. नामांकन वापसी के बाद राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से करीब 80 पर त्रिकोणीय से लेकर पंचकोणीय मुकाबला...

सांसदों का विधायक बनने के लिए अपनों से ही कड़ा संघर्ष

 जयपुर. राजस्थान विधानसभा की चुनावी बाजी पलटने के लिए भाजपा ने सात सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा है, लेकिन...

यूपी सरकार का फिर बड़ा एक्शन: रामपुर पब्लिक स्कूल और दफ्तर हुआ सील

रामपुर उत्तर प्रदेश के रामपुर में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व विधायक आजम खान पर बड़ी कार्रवाई की...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।