छत्तीसगढ़

देवास में चिप्स फैक्ट्री में आग से 50 लाख का सामान खाक

देवास चिप्स बनाने वाली किसान फूड इंड्रस्टीज में को भीषण आग लग गई। घटनाक्रम शहर से दूर ग्रामीण क्षेत्र में...

DAVV ने विश्वविद्यालय ने महीनेभर परीक्षाएं आगे बढ़ाई, दिसंबर में शेड्यूल होगा जारी

 इंदौर  विधानसभा चुनाव की वजह से देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की परीक्षा और रिजल्ट की व्यवस्था बेपटरी हो गई। नवंबर में...

नूपुर शर्मा का समर्थन करने वाले वाइल्डर्स बनेंगे PM, जीता नीदरलैंड का चुनाव

नई दिल्ली नूपुर शर्मा की ओर से पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी पर जब दुनिया भर में बवाल मचा...

दो दर्जन कलेक्टरों सहित 90 से अधिक IAS नए साल में मिड कॅरियर ट्रेनिंग पर

भोपाल मध्यप्रदेश के दो दर्जन से अधिक कलेक्टरों सहित 90 से अधिक आईएएस अधिकारी अगले साल जनवरी-फरवरी में मिड कैरियर...

तनीषा मुखर्जी ने झलक दिखला जा में किया शानदार प्रदर्शन

तनीषा मुखर्जी ने झलक दिखला जा में किया शानदार प्रदर्शन मुंबई  बॉलीवुड अभिनेत्री तनीषा मुखर्जी ने डांस शो झलक दिखला...

उ.कोरिया ने तीसरे प्रयास में जासूसी उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने का दावा किया

उ.कोरिया ने तीसरे प्रयास में जासूसी उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने का दावा किया सियोल  उत्तर कोरिया ने कहा...

वैकल्पिक कोष के लिए एएमसी का योगदान दमदार

वैकल्पिक कोष के लिए एएमसी का योगदान दमदार नई दिल्ली  परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) का डेट म्युचुअल फंड (एमएफ) के...

ब्रिटेन की लंबी विनियामक अनुमोदन प्रक्रियाओं का असर भारत के चिकित्सकीय उपकरणों के निर्यात पर पड़ता है : जीटीआरई

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बिगाड़ने वाला हैं आपके किचन का बजट प्याज, दालें, चीनी, फल और सब्जियां

नई दिल्ली आने वाले दिनों में आपके किचन का बजट बढ़ सकता है। महाराष्ट्र में सूखे जैसे हालात से प्याज,...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।