छत्तीसगढ़

झांसी का वन स्टॉप सेंटर अपराध पीड़ित महिलाओं के लिए बना हथियार

झांसी घरेलू हिंसा, यौन हिंसा सहित अन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं को अल्प समय के लिए अस्थायी रूप से आवास...

मोदी, शाह, राजनाथ, गड़करी, योगी अर्जुन, स्मृति, प्रधान, सिंधिया के साथ 40 स्टार प्रचार आएंगे छग

रायपुर प्रथम चरण में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिले का शनिवार को अंतिम दिन है और ठीक...

उज्ज्वला योजना से वंचित रह हितग्राहियों के लिए मांगी अनुमति

भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव आयोग के निर्देश...

भारतीय टीम सेमीफाइनल के करीब, वर्ल्ड कप के चौथे मैच में बांग्लादेश को रौंदा

पुणे भारत ने वर्ल्ड कप 2023 में जीत का चौका लगाया। पुणे में खेले गए 17वें मुकाबले में भारत ने...

आमजन को मोटे अनाज से जोड़ने के लिए होगी कुकिंग प्रतियोगिता

लखनऊ मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार 27 से 29 अक्टूबर तक इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में...

*भाजपा की सरकार आने पर बंद होंगे आरटीओ बैरियर* *राजेश मूणत का सघन प्रचार अभियान जारी, टाटीबंध में नागरिकों और ट्रांसपोर्टरों से की मुलाकात*

*भाजपा की सरकार आने पर बंद होंगे आरटीओ बैरियर*       *राजेश मूणत का सघन प्रचार अभियान जारी, टाटीबंध...

कांग्रेस ने गठित किया प्रदेश स्तरीय कंट्रोल रूम, रवि घोष होंगे प्रभारी

रायपुर विधानसभा चुनाव के चुनावी संचालन के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा के...

भाजपा की सरकार बनाए, छत्तीसगढ़ को कर देंगे नक्सल समस्या से मुक्त : शाह

  जगदलपुर जगदलपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग इस...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।