छत्तीसगढ़

सांसदों को विधानसभा चुनाव में आजमाने के मूड BJP, कई MP की नींद उड़ी

भोपाल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इस बार अपने सांसदों को भी लड़ाने के मूड...

भारत मंडपम के अंदर समा जाएंगे 26 फुटबॉल स्टेडियम; पढ़िए 5 रोचक फैक्ट्स

नईदिल्ली राजधानी दिल्ली में शनिवार से जी-20 समिट की शुरुआत हो चुकी है। दुनियाभर के दिग्गज भारत पहुंच गए हैं।...

त्रिपुरा में मां से दुष्कर्म के दोषी युवक को आजीवन कारावास

अगरतला त्रिपुरा में सिपाहीजला जिले के विशालगढ़ की सत्र अदालत ने पिछले वर्ष दो मई को नशे की हालत में...

पत्रकारों ने माना मुख्यमंत्री चौहान का आभार

भोपाल पत्रकारों के एक प्रतिनिधि मंडल ने  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में भेंट कर...

ज्योतिष ज्ञान की प्रासंगिकता और महत्ता से युवा पीढ़ी को परिचित कराए

ज्योतिष का ज्ञान पूर्वजों की साधना और अनुसंधान की सौगात : राज्यपाल पटेल राज्यपाल मंगुभाई पटेल महर्षि पाराशर अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष...

NCR में कुत्‍तों का आतंक, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने एडवाइजरी की जारी

गाजियाबाद दिल्‍ली बॉर्डर के गाजियाबाद जिले में आवारा कुत्‍तों का आतंक बढ़ गया है. कुत्‍ते रोजाना 300 से अधिक लोगों...

“मामा जी, मेरा, डॉक्टर बनने का सपना आपने पूरा किया”

मुख्यमंत्री निवास में कु. अपर्णा साहू ने मुख्यमंत्री चौहान से भेंट कर माना आभार भोपाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को...

सूडान से 78,598 लोगों ने किया इथियोपिया में प्रवेश : संयुक्त राष्ट्र

अदीस अबाबा उत्तरी पूर्वी अफ्रीकी देश सूडान में चल रहे संघर्ष के कारण 78,598 लोग शरण के लिए इथियोपिया में...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।