छत्तीसगढ़

राष्ट्रगान पर गलत तरीके से खड़े होने पर ट्रोल हुईं करीना कपूर

मुंबई बॉलीवुड की बेबो यानी एक्ट्रेस करीना कपूर इन दिनों अपनी फिल्म 'जाने जा' को लेकर सुर्खियों में हैं। इस...

सूडानी सेना का खार्तूम बाजार में नागरिकों की हत्या से इनकार

खार्तूम सूडानी सशस्त्र बल (एसएएफ) ने राजधानी खार्तूम के दक्षिण में एक बाजार में 40 नागरिकों की हत्या की जिम्मेदारी...

सिंधू का आत्मविश्वास डगमगाया हुआ है, एशियाई खेलों में पदक की दावेदार नहीं है: विमल

नई दिल्ली भारत के पूर्व कोच विमल कुमार का मानना है कि मौजूदा सत्र में टूर्नामेंटों में लगातार असफलताओं ने...

तथ्य आधारित सामाजिक और आर्थिक विकास पर 3 दिवसीय सम्मेलन प्रारंभ

कुशाभाऊ ठाकरे अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में हो रहा है सम्मेलन भोपाल प्रदेश में सामाजिक और आर्थिक विकास के लिये प्रभावी...

भारत ने चीनी स्टील पर 5 साल के लिए लगाया एंटी-डंपिंग शुल्क

नई दिल्ली भारत ने सोमवार को कुछ चीनी स्टील पर पांच साल के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया। एक सरकारी अधिसूचना...

विधिवत पूजन के बाद रथ (बस) दंतेवाड़ा के लिए रवाना

रायपुर भारतीय जनता पार्टी की परिवर्तन यात्रा मंगलवार की सुबह दंतेवाड़ा से प्रारंभ होने वाली है, इसके लिए परिवर्तन यात्रा...

आईफोन 15 के लॉन्च आज , जानिए कितनी होगी कीमत और क्या होंगे नए फीचर्स

सैन फ्रांसिस्को एप्पल आईफोन 15 सीरीज, आईओएस 17, एप्पल वॉच और अन्य प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने के लिए 12 सितंबर...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।