छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के निजी और सरकारी स्कूलों में 7 से 12 अक्टूबर 2024 तक छुट्टी

रायपुर छत्‍तीसगढ़ के निजी-सरकारी स्कूलों में सात से 12 अक्टूबर तक दशहरा के लिए छह दिन का अवकाश रहेगा। वहीं...

सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष से ऐसे डालेंगी चुनाव में वोट

न्यूयॉर्क  महीनों से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स के अमेरिकी चुनाव तक धरती पर लौटने के आसार कम हैं। इसके...

छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन ने न्याय यात्रा के बाद नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी कर दी शुरू

रायपुर प्रदेश कांग्रेस संगठन छत्तीसगढ़ न्याय यात्रा के बाद नगरीय निकायत चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। प्रदेश के...

सरकारी अस्पतालों पर भरोसा पर प्रश्न चिन्ह, स्वास्थ्य मंत्री के दावों पर सवाल

मनेन्द्रगढ़/एमसीबी छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने सरकारी अस्पतालों में लोगों का विश्वास बढ़ाने की आवश्यकता जताई है। हालांकि,...

शेयर बाजार में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रहा, 6 दिन में 4786 अंक लुढ़का सेंसेक्स

मुंबई शेयर बाजार में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रहा है। सेंसेक्स और निफ्टी में आज फिर से भारी...

बैतूल जिले में बीजेपी नेता की गोली लगने से मौत, बेडरूम में मिला शव

बैतूल मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में बीजेपी नेता की गोली लगने से मौत हो गई है। बेडरूम में उनका शव...

बच्चों को वन्य जीवन और जैव विविधता की महत्ता से बचपन में ही करें संस्कारित : मंगुभाई पटेल

बच्चों को वन्य जीवन और जैव विविधता की महत्ता से बचपन में ही करें संस्कारित : मंगुभाई पटेल राज्यपालपटेल ने...

अमेज़न ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल 2024: ब्रांडेड स्मार्टफोन्स पर बेस्ट डील, बिना लागत EMI!

अमेज़न ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में हर दिन कई शानदार और शानदार डिलियाँ लाइव हुई हैं। यदि आप कोई नया...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।