कहा है बिना सीट और टंकी का शौचालय

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छुरा। आदिवासी विकास खंण्ड छुरा के अंतिम छोर मे बसे वनवासियों तक शासन की योजनाओं को किस हद तक पहुंचने नही देते शासकीय अमला जिसका जिता जागता उदाहरण है नक्सल प्रभावित ग्राम पंचायत पंण्डरीपानी गोडं इस गावं के अस्सी प्रतिशत जनसंख्या अशिक्षित है शेष संख्या मात्र साक्षर है, आदिवासी बाहुल्य पंचायत क्षेत्र की अबादी कृषि मजदूरी एवं वनोपज पर आधारित जीवन जीते हे इनके अशिक्षा का फायदा चंद पढे लिखे लोग जो पंचायत सचिव के साथ मिलकर शासकीय योजनाओं को बाट लगाने मे लगे हुये है , पंचायत सचिव महिने मे दो चार बार ही पंचायत मे नजर आते है बाकि दिनो मे अपने मुख्यालय से बीस किलोमीटर दूर ग्राम कनसिघी मे खेती बाडीं मे मस्त रहते है , पंचायत सचिव ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूरे पंचायत क्षेत्र मे शौचालय निर्माण कार्य अपने चहते को दे दिया , आधा अधुरा शौचालय निर्माण कार्य कर भुगतान भी ले लिया , पंचायत सचिव पवन नागेश ने ठेकेदार को भुगतान भी कर दिया , अपूर्ण शौचालय का रंग रोगन कर सामने के भाग को चकाचक कर दिया पूरे पंचायत क्षेत्र मे बने 95% शौचालय में सेप्टिक टैकं बना ही नही है , तो शौचालय का उपयोग होगा आखिर कैसे ?पचास से भी अधिक ऐसे शौचालय है जिनमे सीट ही फिट नही किया गया है रंग रोगन कर बाहर से देखने पर लगता है पूरा पंचायत क्षेत्र ओडीएफ है जब शौचालयों के पास जाओ तब पता चलता है आगे पाठ पीछे सपाट , सीट ,पाईप, टैकं के बगैर बन गया शौचालय ओर बिना उपयोग के ओडीएफ हो गया, सचिव पवन नागेश ने भ्राष्टाचार करने का नया तरीका इजात कर लिया , खुले मे शोच मुक्त पंचायत होने का तमगा भी हासिल कर लिया, दूरस्थ वनांचल मे बसे गावं के लोग जो अशिक्षा के मकडं जाल में फसे हुये हे इन्हे ये भी नही पता कि सेप्टिक टैकं के बिना शौचालय अधुरा है , ये लोग तो बिना सेप्टिक टैकं तीन दिवाल से बना दरवाजा लगा छोटा कमरा नुमा बना हुआ है इसी को पूर्ण शौचालय समझ बैठे , न सीट है न टैकं है फिर भी शौचालय बन गया समझने वाले भोले भाले आदिवासियों को ठगा जा रहा है, दूरस्थ जंगलो से घिरा हुआ नक्सल प्रभावित गावं मे अधिकारी कर्मचारी जाने से डरते है इसका पूरा फायदा सचिव उठाते है, पंचायत मद मूलभूत, जैसे ओर भी मद की राशि से गावं मे कोई कार्य दिखाई नही देता। सरगीपारा के दूर्जन गोडं ने बताया कि मेरा क्या सभी के शौचालयों मे सेप्टिक टैकं बना ही नही है रगं रोगंन कर नाम पता लिख कर खडे कर फोटो लेकर चले गये ,साल भर से पडां हुआ है , पूरा पंचायत के बासिंदे खेत जंगल तालाब नाला तरफ शौच को जाते है जब टैकं ओर सीट नही है फिट तो उपयोग कैसा ? राजो बाई ने बताई कि सचिव ने कहा तुम्हारा नाम सूची मे नही है कहकर शौचालय मेरे घर मे नही बनवाया ,हमारे घर बनेगा तो हम लोग उपयोग करेगें, चार बार सचिव को बोल चुकी लेकिन नही बनवाया । साहब हमारे घर बनेगा कि नही बताओ न , हो सके तो बरसात के पहले बनवा दो साहब ,मेरी दो संज्ञान बेटी है ओ लोग भी चाहते है बन जाय तो उपयोग करेगें , स्वीकृति करवा दो साहब आपको चाय पान के लिये सौ पचास रुपयें देगें । ऊदेराम गोडं ने बताया कि शौचालय नही है बकरी गोधनी है साहब ओमे पानी पेशाब बैठबे त निकासी के साधन नही बने है त ओकर मतलब नही बकरी बांधे के गोधनी के काम आवत है, नरेन्द्र मोदी ह अइसने अधुरा काम करवा के छोडं दे है सचिव बताईस है मोदी पूरा पैसा नही दे है तेकर सेती अधुरा बने है ।                                             सचिव ग्राम पंचायत पंण्डरीपानी गोडं ,::——सभी शौचालयों का निर्माण हो गया है, गांव वाले उपयोग शौच के लिये नही करे गे। इसलिये बकरी , सुअर , बछरु बांधने के लिये गोधनी के रुप मे उपयोग करेगे इस लिये टैंक सीट नही लगा है।      फोटो,:— (1)दूर्जन (2) राजो बाई (3) बिना टैक के शौचालय

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